
बिलासपुर। श्रीभाष्कार जगद्गुरू भगवान् स्वामी श्री रामानुजाचार्य जी महाराज के लोक मंगल आविर्भाव दिवस की पर वैष्णव संप्रदाय के भक्तों ने हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया इस अवसर पर जबड़ापारा में भगवान रामानुज जी का महाअभिषेक आचार्य रजनीकांत महाराज के सानिध्य में वैदिक मंत्रों उच्चारण से तिरुमंजन , दूध दही घी शहद शक्कर पंचामृत, पंचगव्य से महाअभिषेक के पश्चात् अद्भुत श्रृंगार कर तुलसी अर्चना पुष्प भोग महाप्रसाद अर्पित कर महाआरती गुरु परम्परा स्त्रोत पाठ किया गया श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास जी ने कहा मैं अपने आचार्य, श्रीपाद रामानुजाचार्य का अभिवंदन करता हूँ, जो श्री अच्युत भगवान के चरणकमलों के प्रति अत्यन्त गाढ़ प्रेम के कारण अन्य सभी वस्तुओं को तिनके के समान तुच्छ मानते हैं । और जो ज्ञान, वैराग्य, भक्ति इत्यादि गुणों से संपन्न हैं और जो कृपा के सागर है । श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने कथा श्रवण करते बताया कि भगवान रामानुजाचार्य ने अपने कृत्यों तथा व्यवहार में प्रेम सहिष्णुता शरणागति उत्साह समदर्शिता तथा उदारता का परिचय दिया।अपने ईष्ट देव के प्रति समर्पण के लिए उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन को भी त्याग दिया क्योंकि वे इसे अपने उद्देश्यों की पूर्ति में बाधा मानते थे।श्रीरंगम जानकर उन्होंने यतिराज नामक संन्यासी से संन्यास की दीक्षा जी उनके गुरु यादव प्रकार भी उनके पास आ गये रामानुज नेतिरुकोटिटयूर के महात्मा नाम्बि से अष्टाक्षर मंत्र ओम नमो नारायणाय की दीक्षा ली और इस मंत्र को गुप्त रखने का आदेश दिया। किन्तु रामानुज ने सभी वर्गों के लोगों को बुलाकर वह मंत्र सुना दिया। नाम्बि उनसे रुष्ट हो गये और क्रोधित होकर कहा तुमने मंत्र को गुप्त न रखक अपराध किया है जिसके बदले तुम्हें नर्क भोगना पड़ेगा।इस पर रामानुज ने सविनय उत्तर दिया भगवन् यदि इस मंत्र उच्चारण करके हजारो व्यक्ति नरक की यातना से बच सकते हैं तो मुझे नर्क भोगने में आनंद ही मिलेगा उनके इस उत्तर से नाम्बि का क्रोध शांत हो गया , सभी जीवों को भगवत शरणागति से कल्याण मोक्ष प्राप्ति करते हुए धर्म का प्रचार प्रसार करने लगे
इस अवसर पर वैष्णव संप्रदाय के आचार्य श्री रजनीकांत जी महाराज, श्री प्रपन मिश्रा जी, श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास जी, शत्रुघन कृष्ण दास जी, अनिमेष सोनी,गौतम महाराज, प्रभाकर महाराज, विपुल शर्मा, दुर्गेश शुक्ला,प्रितम महाराज आदि बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे

