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प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत लाखों रुपए  की लागत से बनी सड़क जर्जर, मरम्मत का नामो निशान तक नहीं जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं आते।

लाखों रुपए  की लागत से बनी सड़क  जर्जर, संधारण और मरम्मत का नामो निशान तक नहीं जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं पहुँचते।

खोंगसरा – सरगोड़ – बगधरा मार्ग की दुर्दशा।

आदिवासी समाज क्यों है विकास से कोसो दूर।

बिलासपुर । कोटा ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत जून 2015 को शुरू होकर  जून 2016 को पूरी हुई खोंगसरा से सरगोड़ होते हुए बगधरा तक की 20.3 किलोमीटर लंबी सड़क, जो 960.45 लाख रुपये की लागत से बनी थी, अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं, डामर उखड़ चुका है और कई हिस्सों में सड़क पूरी तरह धंस चुकी है।

ग्रामीणों का कहना है कि संधारण और मरम्मत कार्य कभी नहीं होते। सड़क एक बार बन गई तो फिर इसे कोई देखने वाला नहीं रहता। यही हाल क्षेत्र की अधिकतर सड़कों का है, जो बनने के कुछ वर्षों बाद ही खराब हो जाती हैं, लेकिन उनके सुधार की कोई व्यवस्था नहीं होती।

जब यह सड़क बनी थी, तब गांववालों को उम्मीद थी कि इससे यातायात सुगम होगा, लेकिन कुछ ही वर्षों में इसकी हालत इतनी खराब हो गई कि अब ग्रामीणों की सपना सपना ही रह गया इस पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। सड़क में बने गड्ढों के कारण आए दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

स्थानीय निवासी रामदयाल यादव ने बताया कि यह सड़क 960.45 लाख रुपये की लागत से बनी थी, लेकिन निर्माण में जिस तरह की लापरवाही बरती गई, उससे यह सड़क कुछ ही सालों में उखड़ने लगी। अब हालात यह हैं कि बरसात के मौसम में यह सड़क तालाब में बदल जाती है, जिससे गांववालों का आवागमन प्रभावित होता है।

ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। ठेकेदारों ने इसे खुद बनाने की बजाय कमीशन पर दूसरे ठेकेदारों को दे दिया, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ा। सड़क निर्माण के दौरान घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और मानकों की अनदेखी की गई, जिससे यह जल्दी खराब हो गई।

इस मामले में जब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि “सड़क की मरम्मत की योजना बनाई जा रही है।” लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के वादे पहले भी किए गए हैं, परंतु अब तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है।गांव वालों की कहना है कि इस सड़क की जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए और भविष्य में सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़कें जल्दी खराब न हों। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वह निर्माण कार्य की नियमित निगरानी करे और संधारण व्यवस्था को मजबूत करे, ताकि जनता को बार-बार इस समस्या का सामना न करना पड़े।

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