शिवतराई गोठान की महिलाओं ने केंचुए से समृद्धि की तलाश ली राह,वर्मी कंपोस्ट बनाकर समूह ने 18 लाख 89 हजार रुपये अलग से कमाए ।

शिवतराई गोठान की महिलाओं ने केंचुए से समृद्धि की तलाश ली राह,वर्मी कंपोस्ट बनाकर समूह ने 18 लाख 89 हजार रुपये अलग से कमाए ।
कोटा । ब्लाक के शिवतराई गोठान की महिलाओं ने केंचुए से समृद्धि की राह तलाश ली है। बीते वर्ष इस समूह ने पांच लाख रुपये का केंचुआ बेचा था। वहीं केंचुए से वर्मी कंपोस्ट बनाकर समूह ने 18 लाख 89 हजार रुपये अलग से कमाए हैं। इस बार इनके पास 10 क्विंटल खाद की मांग आई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अन्य समूहों को भी केंचुए दिए गए थे किंतु शिवतराई की महिलाओं ने अपनी मेहनत से उदाहरण प्रस्तुत करने में सफलता हासिल की है। महिलाएं जो कमाती हैं उसका तीन प्रतिशत आसपास के गांव के बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए उनके पोषण आहार में व्यय करती हैं।गोठान में मल्टीएक्टिविटी की झलक देखनी है तो शिवतराई के गोठान जाना होगा। महात्मा गांधी के सपनों के गांव की परिकल्पना को गोठान में काम करने वाली महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं भलीभांति साकार कर रही हैं। गोपालन से लेकर गोबर से खाद के अलावा अन्य उत्पाद बनाने का काम सबसे पहले प्रारंभ किया गया। जब इस काम में महिलाओं ने सफलता हासिल कर ली तब आगे की सोचने लगी। गोठान परिसर में बकरी से लेकर कुक्कुट पालन का काम प्रारंभ किया।जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य शासन से गोबर से खाद बनाने के अलावा वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना बनाई। इसके लिए कृषि विभाग को जिम्मेदारी सौंपी। कृषि विभाग ने प्रदेश के 25 चुनिंदा गोठानांे का चयन करते हुए इंडोनेशिया से केंचुए मंगाकर पांच-पांच किलोग्राम समूहों को आवंटित किया और केचुएं पालन की दिशा में मेहनत करने की बात कही।
केचुएं पालन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। शिवतराई गोठान में काम करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कड़ी मेहनत कर स्वावलंबन के साथ ही आर्थिक समृद्धि की राह खुद ही चुन ली है।
जैविक हल्दी की कर रहीं हैं खेती।
महिला गोठान परिसर में दो एकड़ में जैविक हल्दी की खेती भी कर रही हैं। हल्दी की फसल में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं कर रही हैं। अपनी गोठान में बनाए गोबर व वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग कर रही हैं। उत्पादन भी भरपूर मिल रहा है। एक एकड़ में 20 से 25 क्विंटल हल्दी का उत्पादन कर रही हैं। गोठान में ही प्रोसेसिंग यूनिट लगा ली है। प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए हल्दी की प्रोसेसिंग की जा रही है।हल्दी पावडर का पैकेट भी बना रही हैं। इसके अलावा हल्दी की बीज भी बेच रही हैं। कृषि विस्तार अधिकारी व शिवतराई गोठान के नोडल अधिकारी सुजीत सिंह कंवर बताते हैं कि यहां पांच महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं काम कर रही हैं।

