औद्योगिक कचरा के निपटान में लापरवाही बरतने के आरोप में मस्तूरी ब्लाक के पाराघाट में संचालित राशि पावर प्लांट प्रबंधन पर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एक करोड़ 25 लाख 10 हजार स्र्पये का जुर्माना ठोंका है।

बिलासपुर। औद्योगिक कचरा के निपटान में लापरवाही बरतने के आरोप में मस्तूरी ब्लाक के पाराघाट में संचालित राशि पावर प्लांट प्रबंधन पर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एक करोड़ 25 लाख 10 हजार स्र्पये का जुर्माना ठोंका है। संरक्षण मंडल ने पावर प्लांट प्रबंधन को 15 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि जमा कराने कहा है। जुर्माने की राशि जमा ना करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा प्लांट प्रबंधन को जारी नोटिस में कहा गया है कि प्लांट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली द्वारा जारी मापदंडों का खुला उल्लंघन किया है। जुर्माना ठोंकने के साथ ही संरक्षण मंडल ने जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 एवं वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रविधान भी है।माना जा रहा है कि प्लांट प्रबंधन पर पर्यावरण को प्रदूषित करने के आरोप में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्लांट प्रबंधन को इस बात की चेतावनी भी दी है। मिली शिकायत के आधार पर पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों ने तीन मार्च को पावर प्लांट का निरीक्षण किया था। ठोस अपशिष्ट आयरनओर को डंप कर रखा गया है। आयरनओर का बीते एक वर्ष से भी अधिक समय से प्रबंधन द्वारा निपटान नहीं किया गया है। नियमों के अनुसार प्लांट प्रबंधन को हर महीने औोगिक कचरा का निपटान किया जाना है। पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि प्रबंधन ने 11 जनवरी 2021 से तीन मार्च 2022 तक 417 दिन पर्यावरण नियमों का सीधेतौर पर उल्लंघन किया है। औोगिक कचरों के निपटान में प्रबंधन ने गंभीरता नहीं बरती है।
पर्यावरण विभाग ने इन शर्ताें की कर दी है अनदेखी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों और मापदंडों पर गौर करें तो नेशनल पार्क से तीन किलोमीटर की दूरी पर औोगिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहेगी। पाराघाट में जहां पावर प्लांट लगा है वहां से ढाई किलोमीटर की दूरी पर क्रोकोडायल नेशनल पार्क है।
राजमार्ग को बाधित ना करने का स्पष्ट दिशा निर्देश है।अपशिष्ट पदार्थों का रिसायाक्लिंग करना अनिवार्य है। प्रबंधन ने अनुबंध में इस शर्त का पालन करने की बात कही हे। प्रबंधन द्वारा प्लांट का औद्योगिक कचरा लीलागर नदी में छोड़ा जा रहा है।
सीएसआर मद से आइटीआइ प्रशिक्षण केंद्र,स्वास्थ्य व प्रभावित ग्रामों में कलेक्टर की अनुमति से कुल लाभ का दो फीसद सार्वजनिक उपयोग के लिए कार्य करना जरुरी है। प्रभावित ग्रामों में नागरिक सुविधाओं से संबंधित कार्य नहीं किया जा रहा है।
पाराघाट,भनेसर और बेलटुकरी की कृषि योग्य जमीन प्रदूषण का शिकार हो रही है। खेत की मिट्टी लाल हो गई है। चिमनी में सीपीपीटी नहीं लगाया गया है। इसके चलते खेती प्रभावित हो रही है।

प्लांट विस्तार को लेकर मांगी अनुमति
पर्यावरण संरक्षण मंडल में कंपनी ने प्लांट विस्तार की अनुमति के लिए आवेदन जमा किया है। ग्रामीणों ने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई है। ग्रामीणों का कहना है कि भनेसर,पाराघाट,बेलटुकरी,खैरा,जयरामनगर,कछार,कसौंदी,खुड़ुभांठा,देवगांव,हिर्री प्रदूषण से प्रभावित हो रहा है। लीलागर नदी के किनारे गांव प्रदूषण से प्रभावित है।


