छत्तीसगढ़बिलासपुर संभाग
खमरछठ व्रत रखकर संतान की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना किया।

मनमोहन सिंह✍️
कोटा।खैरा अंचल में पुत्र की दीर्घायु के लिए माताओं ने 1 दिन पूर्व पंचमी के दिन संकल्प लेकर भाद्र मास के कृष्ण पक्ष षष्ठमी तिथि को खमरछठ व्रत रखकर संतान की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना किया। महिलाएं गोबर और मिट्टी से प्रतीक रूप में तालाब बना कर सामूहिक रूप से व्रत कथा सुनी।साथ ही बगैर हल लगे हुए अर्थात स्वयं से उपजे हुए अनाज का सेवन किया।
भारतीय संस्कृति अनुसार पति,भाई,बहन की खुशहाली एवं दीर्घायु के लिए माताएं,एवं बहने बिना अन्न जल ग्रहण किये प्रतिवर्ष व्रत रखती है। इन्हीं परंपराओं में से एक है हलषष्ठी व्रत। प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की छठी तिथि को माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने और उन्हें हर समय मृत्यु से बचाने के लिए हलषष्ठी व्रत करती है।
इस दिन महिलाएं ऐसे खेत में पैर नहीं रखते जहां फसल पैदा किया जाना हो। इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व होता है,क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम का जन्म हुआ था।
कथावाचक आचार्य प्रमोद दुबे ने बताया की भाद्र मास के कृष्ण पक्ष षष्ठमी तिथि के 1 दिन पहले संध्या के समय हलषष्ठी व्रत को संकल्प लेकर के पंचमी से ही और षष्ठमी को संध्याकालीन सौभाग्यवती माताएं श्रृंगार सहित कृत्रिम तालाब का निर्माण करके माता हलषष्ठी की व्रत पूजन को संपन्न करती है। प्राचीन कथा अनुसार माता देवकी की 6 पुत्रों को उनके भाई द्वारा मार दिया गया। जिससे माता देवकी बहुत दुखी रहती थी। तीनो लोक का भ्रमण करने वाले नारद जी योग माया से 1 दिन माता देवकी के पास कारावास पहुंचे, और देवकी के दुखी होने का कारण को पूछा। और देवकी ने अपनी मृत्यु के बारे में बताया और उनसे पूछा की ऐसी कोई व्रत कथा पूजन हो तो बताइए जिससे मैं अपने पुत्र की रक्षा कर सकू। तब देव ऋषि नारद ने बताया जो भी माता हलषष्ठी की भाद्र मास के कृष्ण पक्ष षष्ठमी के दिन पूजन उपासना करती है। तो निश्चित ही माता की कृपा से उनके पुत्र दीर्घायु होते हैं। माता हलषष्ठी की 6 कथा सुनाई जाती है। जो लंबी आयु की कामना के साथ हर्षोल्लास से माताएं व्रत पूजन को करते हैं।

