राहत भरी खबर अब आदिवासियों का बिना मिसल बनेगा जाति प्रमाण पत्र।

राहत भरी खबर अब आदिवासियों का बिना मिसल बनेगा जाति प्रमाण पत्र।
बिलासपुर। दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले वनवासियों के अलावा मैदानी इलाके में रहने में आदिवासियों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। ऐसे आदिवासी परिवार जिनके पास मिसल नहीं है और बच्चों से लेकर युवाओं को जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता है तो अब चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार ने एक निर्देश जारी कर विशेष ग्रामसभा की अनुमति से जाति प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था कर दी है।ऐसे परिवार के युवाओं और स्कूली व महाविालयीन छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए विशेष ग्रामसभा की बैठक आयोजित की जाएगी। विशेष ग्रामसभा के लिए एकमात्र एजेंडा रहेगा। मिसल के अभाव में जाति प्रमाण पत्र जारी करने की अनुशंसा। ग्रामसभा की बैठक में उपस्थित ग्रामीणों व पंचों के बीच ग्राम पंचायत के सचिव एजेंडा को पढ़कर सुनाएंगे। मिसल के अभाव में जिन लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करना है उनकी सूची भी पढ़ी जाएगी। इसके बाद रायशुमारी ली जाएगी। ग्रामसभा की बैठक में अनुमोदन कराया जाएगा। अनुमोदन की कापी जनपद पंचायत को सौंपी जाएगी।
जनपद पंचायत के माध्यम से प्रकरण तहसीलदार के कोर्ट में रखा जाएगा। विशेष् ग्रामसभा के अनुमोदन के आधार पर तहसीलदार द्वारा सूची में शामिल लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करेंगे। राज्य सरकार का मानना है कि ग्रामसभा में बैठक में गांव के सभी ग्रामीणों की उपस्थिति रहती है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के नाम के अलावा जाति के संबंध में जानकारी रखते हैं। लिहाजा ग्रामसभा से बड़ी और कोई पंचायत नहीं हो सकती जहां लोगों के जाति पर मुहर लगाई जा सके। मालूम हो कि बिलासपुर संभाग के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही,कोरबा व रायगढ़ जिले में निवासरत आदिवासियों के बीच मिसल को लेकर दिक्कतें आ रही है। मिसल ना होने के कारण जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। राज्य सरकार की इस व्यवस्था के बाद अब इनको राहत मिलेगी।

