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मोपका के ज़मीन के महाघोटाले में पटवारी पर सबूत मिटाने का लगा गम्भीर आरोप-

मोपका के ज़मीन के महाघोटाले में पटवारी आलोक पर सबूत मिटाने का लगा गम्भीर आरोप-

पूरे प्रदेश में मोपका ही एक ऐसा जगह है जहां ज़मीने हवा में उड़ती हैं। और रातों रात ग़ायब हो जाती है। मोपका में विधानसभा में राजस्व मंत्री ने खुद स्वीकार किया है कि करोड़ों करोड़ों रुपए का ज़मीन का घोटाला हुआ है जिसमें कई कई एफआइआर दर्ज की गयी है। और अब पुलिस इनमे गिरफ़तारियाँ चालू कर दी है। राजस्व विभाग से पहली गिरफ़तारी पटवारी अशोक जायसवाल की हुई है। आज शिकायतकर्ता ने कलेक्टर एसपी को लिखित में शिकायत किया है कि एसडीएम बिलासपुर के संरक्षण में मोपका के पटवारी आलोक तिवारी भोंदूदास प्रकरण में दस्तावेज़ी साक्ष्य को मिटा रहें है। complain against alok tiwari शिकायतकर्ता ने दस्तावेज प्रस्तुत किया है कि चिल्हाटी के खसरा नंबर 224/380 के सरकारी ऑनलाइन रिकार्ड में भूमिस्वामी का नाम ग़ायब करके केवल – – लिख दिया है। इससे पुलिस के सामने दुविधा अब पैदा हो गयी है कि पुलिस इधर लगातार गिरफ़्तारी तो कर रही है लेकिन चालान पेश करने के लिए रिकार्ड अब क्या ज़ब्त करेगी। पटवारी ने तो ऑनलाइन से रिकार्ड ही हटा दिया है। इधर शिकायत कर्ता ने एसडीएम पर भी आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी ढाई साल वाले फ़ार्मूले का उल्लंघन करके आलोक तिवारी को मोपका में केवल इसीलिए दुबारा बैठाया गया है ताकि वह भोंदूदास घोटाला में ज़मीन का दस्तावेज़ी साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सके। शिकायतकर्ता ने सबूतों की रक्षा के लिए एसडीएम और पटवारी को हटाने का माँग किया है ताकि भोंदूदास ज़मीन घोटाला का सबूत सुरक्षित रह सके।बहरहाल गेंद अब कलेक्टर के पाले में हैं कि कलेक्टर इस गम्भीर केस में क्या पहल करते हैं।

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