विश्व पर्यावरण दिवस पर मुंगेली जिला के अचानकमार टाईगर रिजर्व कोर जोन में जिला स्तरीय सम्मेलन का आयोजन।

विश्व पर्यावरण दिवस पर मुंगेली जिला के अचानकमार टाईगर रिजर्व कोर जोन में जिला स्तरीय सम्मेलन का आयोजन।
जिला मुंगेली 10 जून 2025 ATR संघर्ष समिति के 15 ग्राम पंचायतों का सभा एवं ग्राम निवासखार (ग्राम सभा) संयुक्त तत्वाधान में “हमर पर्यावरण सुरक्षा हमर जिम्मेदारी” अभियान के अंतर्गत जिला स्तरीय विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस वर्ष की विषय पर्यावरण संतुलन एवं जैव विविधता” रखी गई थी आयोजन का उद्देश्य ग्राम सभाओं को पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और जंगलों के संरक्षण, संवर्धन तथा प्रबंधन के प्रति जागरूक करना और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों की जानकारी देना था, ताकि वे अपने जंगलों का संरक्षण लोकतांत्रिक तरीके से कर सकें।
कार्यक्रम की शुरूआत निवासखार ग्राम के महिलाओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुई, जिसमें “जैव विविधता’ पर आधारित गाना ने सभी उपस्थितजनों को प्रभावित किया। इस अवसर पर ग्राम सभा अध्यक्ष दुर्गी बाई बैगा ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल अपने गांव की भलाई के लिए नही बल्कि पूरे क्षेत्र की भलाई के लिए जरूरी है और हम केवल वही उपयोग कर सकते है, जिसे हम आज सुरक्षित रखते है। ग्राम सभाओं को सशक्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जब ग्राम सभा मजबूत होती है, तो हर कार्य लोकतांत्रिक रूप से संभव होता है। ग्राम महामाई से आए अमर सिंह ध्रुव ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके गांव में किए गए सामूहिक श्रमदान से किया गया पौधारोपण अब फल-फूल रहा है और इस वर्ष और अधिक पौधे लगाने का संकल्प भी लिया गया है।अचानकमार टाईगर रिजर्व संघर्ष समिति के समस्त 16 गांव के पदाधिकारी द्वारा अपने-अपने गांव में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त होने के पश्चात् अपने अपने गांव के ग्राम सभा द्वारा जंगल में वन्य प्राणी, जडी-बूटी, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, मोटा अनाज, लघु वनोपज, जैव विविधता अतिक्रमण जैसे बडे-बडे सोच को लेकर अलग-अलग गांव में बनाये गये नीति-नियम को साझा किया। निम्न प्रकार- मवेसियों को जंगल में मनमानी चराई के लिए बंद किया गया है और उनके चराई का व्यवस्था ग्राम सभा के अनुरूप किया जावेगा।
जंगल में पेंडों की कटाई को रोकना।जंगल में आग लगाना सखत मना है एवं आग लगाने पर 2000-5000 तक का जुर्माना लिया जावेगा।
महुआ के पेड के नीचे सफाई करके महुआ संग्रह किया जाएगा एवं आग नही लगाई जाएगी।
ठेंगापाली परंपरा को बनाए रखने रखा जाएगा एवं जंगल की सामूहिक सुरक्षा हेतु पहरा व्यवस्था किया गया।
जंगल से बीज इकठठा कर नर्सरी तैयार की जाएगी और पौधारोपण किया जावेगा।
जंगल में खाली जगह में बडे पैमाने पर पौधारोपण किया जावेगा जैसे महुआ, चार, तेन्दू, सरई, धवरा, हरर्रा, आंवला, करज आदि पौधें लगाये जाने का निर्णय लिया गया।
जंगल में मिलने वाले संसाधनों का एक एल्बम / दस्तावेज तैयार किया जावेगा।
जंगल की मैपिंग करके उसे सामुदायिक भवन में चित्रित किये जाने का निर्णय लिया गया।
वन्य प्राणी संरक्षण पर वन्य जीवों का बलि नहीं दी जाएगी, उन्हें जंगल में वापस लाने का प्रयास करेंगे।
अत्यधिक MFP को दोहन को रोका जाएगा।
घास के मैदान विकसित किए जायेंगे।
नदी में छोटे बांध, नाले आदि का बनाकर जल संचयन किया जाएगा।
पारंपरिक स्थानीय बीजों का बेवर खेती को फिर से जीवित करने की योजना बनाया गया।
हांथियों के लिए झुंड में दूर भगाने की रणनीति बनाया गया।
वन्य प्राणी जीवों का गांव में आना-भोजन की कमी मानी गई है।
पानी के स्त्रोतों के पास पौधारोपण और जल मृदावली गडढे खोदे जाने के लिए निर्णय लिया गया।नियमों को उलंघ्घन करने पर प्रति पेड आग घटना पर नगद जुर्माना ग्राम सभा के निर्णय अनुसार होगा।लघु वनोपज का मूल्यवर्धन करने की योजना बनाया गया।
वन उत्पादों की वार्षिक आमदनी को दोगुना करने के लिए योजना बनाया गया।इन सारे पारंपरिक नीति-नियम की जैसे-जैसे पालन में सुझाव बुजुर्गों द्वारा आते जायेगा उन सुझाव के अनुसार पारंपरिक नीति-नियम में ग्राम सभा एवं CFRMC समिति द्वारा निर्णय सर्व मान्य होगा। ग्राम सभा के प्रहलाद सिंह उईके (अध्यक्ष, CFRMC) ने अपने गांव में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जंगली जानवर एवं जडी-बूटी को बढ़ावा देने के साथ अतिक्रमण का रोकथाम प्रयासों की जानकारी दी। उन्होनें बताया कि सामूहिक प्रयासों से अब गांव में बांस संरक्षण एवं मनरेगा जैसे-जल संरक्षण एवं मिटटी संरक्षण जैसी गतिविधयां शुरू हो गई है, जिससे न केवल स्थानीय लोंगो को रोजगार मिला हैं, बल्कि बाहरी लोग भी गांव की ओर आकर्षित हो रहे है। बम्हनी एवं अन्य सभी गांवों के वक्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होने स्थानीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण प्रयास किए और उनमें सफलता पाई। सिमांचल आचारी (सामाजिक कार्यकर्ता) ने कहा कि आज ग्राम सभाएं पहले की तुलना में अधिक जागरूक और सशक्त हुई है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि मध्य भारत के जो जंगल आज सुरक्षित है, वे मुख्यतः आदिवासी क्षेत्रों में स्थित है, और ऐसे में इन जंगलों के संरक्षण की सबसे बडी जिम्मेदारी आदिवासी समुदायों पर है। उन्होने वन अधिकार कानून और ग्राम सभा सभाओं को प्राप्त प्रबंधन अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अपने जंगलों की रक्षा और संरक्षण, सुरक्षा, संवर्धन पंब्रधन, पुनर्जीवित कर सकते है। इसके साथ उन्होने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर विस्तार से चर्चा की ओर बताया कि मौसम में आ रहें बदलावों का सीधा असर मानव जीवन और जैव विविधता पर पड रहा है।
कार्यक्रम का विशेष समापन निवासखार गांव में 1000 पारंपरिक पौधों के सामूहिक रोपण के लिए शपथ ग्रहण किए साथ ही और 50 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधारोपण अभियान की शुरूआत की गई। इस इवसर पर निम्न समिति के पदाधिकारी के साथ-साथ सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति उपस्थित रहे और उन्होने समुदायों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की कार्यक्रम में जिले की 16 ग्राम सभाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। साथ ही 16 ग्राम सभाओं की अतरिया, बम्हनी, जाकडबांधा, सुरही, डंगनिया, निवासखार, महामाई, राजक, बोईरहा, छिरहट्टा, लमनी, छपरवा, बाबुटोला, घमेरी, सरगढी, कटामी को उनके उत्कृष्ट पर्यावरणीय कार्यों के लिए ग्राम सभा अध्यक्षों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन निवासखार के “ग्राम टाईगर रिजर्व संघर्ष समिति” द्वारा किया गया।
समापन भाषण में अचानकमार टाईगर रिजर्व संघर्ष समिति के सचिव चद्रभान सिंह मार्को द्वारा ग्राम सभा के द्वारा आज नही कई बुजूर्गों से पारंपरिक रूप से हम जंगल को अपनापन समझते है। परन्तु शासन-प्रशासन द्वारा हम वनवासियों के हित में योजना बनते जा रहा है जैसे-पीएम-जनमन, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, वन संसाधन अधिकार के तहत समस्त शासकीय योजनाओं को ATR में विभागीय योजना को लागू करना सरकार द्वारा प्रबंधन योजना में सहयोग आदि विषय को शामिल करने हेतु सभी संबंधित सरकारी संस्थानों को भी मदद करने के लिए आगे आना चाहिए न कि विस्थापन जैसे मुद्दों को सामने रखते हुए सभी विकास योजनाओं से वंचित रखना ये संवैधानिक अधिकार के विरोध को दर्शाता है। हम आशा करते है कि सरकारी महत्वाकांक्षी योजनाएं सर्वे तक न रहे जिलाधीश एवं आदिवासी कल्याण विभाग को निवेदन करते है कि समस्त आजीविका संबंधित योजनाओं को क्रियान्वयन में मद करें।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वालों में ग्राम सभा अचानकमार टाईगर रिजर्व संघर्ष समिति अध्यक्ष राजेश पेन्द्रो, सचिव चन्द्रभान सिंह मार्को, संरक्षक सरस्वती सुरेन्द्र मरावी, (डंगनिया) अमर सिंह ध्रुव महामाई, विनोद कुमार मसराम सुरही, रामकुमार आर्मी निवासखार, राजकुमार धुर्वे कटामी, सुखीराम बैगा छपरवा, उपाध्यक्ष संजू बैगा घमेरी, आनंद एक्का डंगनिया, कोषाध्यक्ष प्रेम सिंह बैगा सुरही, प्रहलाद उईके निवासखार, सह सचिव नवल प्रजापति जाकडबांधा, मीडिया प्रभारी अजीत एक्का डंगनिया, कुंवर सिंह धुर्वे घमेरी, महामंत्री मंगल सिंह एक्का, कार्यकारणी अध्यक्ष दिलहरण मसराम जाकडबांधा, सदस्यगण दुर्गी बाई बैगा डंगनिया, मालती बाई मार्को निवासखार रामा आर्मो बम्हनी, धरम सिंह बैगा राजक, फगूनसिंह टेकाम बम्हनी, शिवचरण मसराम सुरही, अश्वनी बैगा छपरवा, झन्नू बैगा छिरहट्टा, कमल बैगा बोईरहा, नरेश लकडा अतरिया, कुसाल धुर्वे कटामी, सुबन कूजूर बाबुटोला, खुसमन कुजूर जाकडबांधा, उर्मिला बैगा सुरही, भगवती टेकाम बम्हनी, रूखमणि बैगा छपरवा, सोनिया बैगा (छपरवा) उपस्थित रहे।

