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सरस्वती शिशु मंदिर समाज का केंद्र बिंदु बने– जुड़ावन सिंह।

सरस्वती शिशु मंदिर समाज का केंद्र बिंदु बने-- जुड़ावन सिंह।

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान एवं सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ रायपुर के मार्गदर्शन में सरस्वती शिशु मंदिर बिलासपुर विभाग के प्राचार्य- प्रधानाचार्यो की बैठक सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजकिशोर नगर बिलासपुर में (प्रांतीय अध्यक्ष सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़) जुड़ावन सिंह ठाकुर जी, (प्रांतीय सह संगठन मंत्री) राघवेंद्र जी, (बिलासपुर विभाग सह प्रभारी) रविंद्र सराफ जी, (बिलासपुर, मुंगेली, पेंड्रा- गौरेला- मरवाही जिले के जिला प्रतिनिधि) शिव नारायण तिवारी जी,( बिलासपुर विभाग के विभाग समन्वय गेंद राम राजपूत जी,( सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर एवं राज किशोर नगर के व्यवस्थापक) नेतराम सैनिक जी एवं( बिलासपुर जिला के जिला समन्वयक) हरीशचंद्र साहू की उपस्थिति में मां सरस्वती ,ओम एवं भारत माता की छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष जुड़ावन सिंह ठाकुर जी ने सभी प्राचार्य- प्रधानाचार्यो को संबोधित करते हुए कहा कि हर विद्यालय उत्कृष्ट विद्यालय कैसे बने इस ओर हम सबका विशेष ध्यान होना चाहिए विद्या भारती की ओर से एवं सरस्वती शिक्षा संस्थान की ओर से प्रत्येक सरस्वती शिशु मंदिरों को 3 वर्ष के अंदर उत्कृष्ट विद्यालय बनाना है इसके लिए भौतिक संसाधन एवं मानवीय संसाधन को ध्यान में रखते हुए विद्यालय को समाज का केंद्र बिंदु बनाना है, समाज को सरस्वती शिशु मंदिर से अनेक आशाएं बंधी हुई है हमें उनकी आशाओं पर खरे उतरना है एवं समाज कल्याण में अपना पूर्ण योगदान देना होगा।

प्रांतीय सह संगठन मंत्री राघवेंद्र जी ने विद्यालय में अध्ययन करने वाले सभी भैया- बहनों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्या भारती की ओर से बने पांच आधारभूत विषय जैसे योग, शारीरिक, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं आध्यात्मिक एवं चार आयाम जैसे विद्वत परिषद, पूर्व छात्र आयामों पर प्राचार्य- प्रधानाचार्यो का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हमारे विद्यालय में अध्ययन करने वाले भैया- बहन पढ़ाई एवं खेल में तो उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ही रहे हैं ,साथ ही पांच आयामों के द्वारा भैया- बहनों के सर्वांगीण विकास किया जाना आवश्यक है।

सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ बिलासपुर विभाग के विभाग समन्वयक गेंदराम राजपूत जी ने सभी प्राचार्य- प्रधानाचार्यो से बातचीत करते हुए कहा कि हर विद्यालय उत्कृष्ट विद्यालय बनाने के लिए हमें विद्यालय के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से लेकर प्राचार्य, समिति के सदस्यों को प्रशिक्षित कर पठन-पाठन विषय के साथ-साथ विद्यालय को सभी प्रकार के संसाधनों से युक्त बनाना होगा।

बैठक में उत्कृष्ट विद्यालय के क्रियान्वयन की समीक्षा एवं आगामी योजना, विद्यालय में खेलकूद, बौद्धिक कार्यक्रम की समीक्षा एवं आगामी योजना करने के साथ-साथ अनेक कार्यक्रम करने का विचार विमर्श किया गया (1) बालिका शिक्षा हेतु बालिकाओं का प्रशिक्षण,(2) शिशु वाटिका शिक्षा हेतु शिशु वाटिका प्रमुखों का प्रशिक्षण, (3)स्पोकन इंग्लिश का प्रशिक्षण, (4)संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण, (5)वैदिक गणित का प्रशिक्षण,(6) शारीरिक प्रदर्शन का वार्षिक उत्सव एवं सांस्कृतिक वार्षिक उत्सव,(7) गणित मेला,(8) बाल मेला,(8) विद्यारंभ संस्कार के माध्यम से एवं समाज से सीधा संपर्क करने के लिए सभी आचार्य, प्राचार्य, कर्मचारी, समिति के सदस्य, एवं पदाधिकारी, पूर्व आचार्य , पूर्व छात्र, अभिभावक सब मिलकर करने का निर्णय लिया गया ताकि विद्यालय को समाज का केंद्र बिंदु बनाया जा सके।

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