
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार तमाम तरह की योजना छत्तीसगढ़ मे ला रही ही इनमें से एक महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरवा,घूरूवा बाडी भी है इस योजना के तहत जगह जगह गौठान भी बनाया गया है।लेकिन कर्मचारी और अधिकारी इस योजना को लेकर असंवेदनशील दिख रहें हैं और गौठान पर लाये गए मवेशियों पर ज्यादा ध्यान देना उचित नही समझ रहें हैं.सिरगिट्टी क्षेत्र में कुछ वर्ष पहले गौठान बनाया और उसमे मवेशियों रखने कुछ माह पहले ही शुरू किया गया।जिसमे गौवंश कुछ ही संख्या मे रखा गया है बाकी गाय मुख्यरोड पर बैठे आप देख सकेंगे। वही खानापूर्ति के लिए गौठान पर लाये गए गौ वंश के प्रति लापरवाही इतनी है कि एक माह के भीतर दो स्वस्थ गाय भी अस्वस्थ होकर अपनी दम तोड़ दी।जब हमने आस पास के लोगों से इसका कारण पता लगाया तो उनका साफ तौर पर कहना था की उचित व साफ सुथरे चारे(पैरा कटिया)की व्यवस्था नही किया गया जाता।साथ ही सिरगिट्टी गौठान में कुछ मात्रा में चारे की व्यवस्था तो है लेकिन वह भी व्यवस्थित नही है जिसके कारण बरसात में सभी मवेशी उससपर बैठ जाती है और गोबर करके खराब कर दे रही है.गोबर से सने और गीले चारा होने के कारण मवेशी उसे नही खा रहें हैं.जिसके कारण भूख में जानवर अपना प्राण त्याग रहें है.फिलहालअभी जो मवेशी की मौत हुई है वह भूख से हुई है या और कुछ कारण से यह स्पष्ट कर पाना मुश्किल है.लेकिन इससे पहले सात अगस्त को भी एक मवेशी की जान चली गई थी।जिसे जानवरों के आपसी भगदड के कारण मरने की बात कह दी गई थी। सवाल ये भी उठता है गौठान क्षेत्र में प्रयाप्त जगह है और मवेशियों की संख्या भी कम है तो भगदड जैसे बात भी समझ से परे है।कुल मिलाकर यहां देखरेख और व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहें हैं।

