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अपने आचरण से बनते हैं आचार्य — वेंकट लाल।

अपने आचरण से बनते हैं आचार्य — वेंकट लाल।

कोटा। सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करगी रोड कोटा में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती को युवा उत्सव के रूप में मनाने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में वेंकट लाल अग्रवाल अध्यक्ष सरस्वती शिशु मंदिर कोटा कार्यक्रम की अध्यक्षता अजय अग्रवाल व्यवस्थापक सरस्वती शिशु मंदिर कोटा विशिष्ट अतिथि के रूप में वासुदेव रेड्डी कोषाध्यक्ष सरस्वती शिशु मंदिर कोटा एवं बाबूलाल साहू प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर कोटा ने मां सरस्वती भारत माता ओम एवं स्वामी विवेकानंद जीके छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेंकट लाल अग्रवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद आदर्श बड़ा महान है उनके आदर्शों पर हमें चलना चाहिए वास्तव में आचार्य अपने अच्छे आचरण, दूरदृष्टि रखने, समाज की सेवा करने के कारण ही सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक ना कह कर आचार्य कहा जाता है जो निस्वार्थ सेवाभावी होते हैं और विद्यार्थियों को समझाते हुए कहा कि पढ़ने के लिए एकाग्रता और एकाग्रता के लिए ध्यान और ध्यान के लिए इंद्रियों को केंद्रित करना और केंद्रित करने के लिए संयम बनाए रखना आवश्यक है तब ही आप लोग अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि तुम तब तक ना रुको जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति ना कर लो अतः स्वामी विवेकानंद हम सबके लिए आदर्श है।कार्यक्रम के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि ज्ञान स्वयं में वर्तमान होता है इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को या प्रत्येक मनुष्य को एक ही समय में केवल एक कार्य पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उसके लिए अपना संपूर्ण समर्पण के साथ उस कार्य को करना चाहिए, सफलता निश्चित है, इसीलिए कहा गया है कि एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए। उन्होंने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारत और हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने जिस प्रकार से भारत और हिंदुत्व का परिचय दिया जिसके कारण आज हमारा देश दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है भारत एक अनोखा राष्ट्र है, यहां की संस्कृति अनोखी है, यहां अनेक धर्म, जाति, पंथ के लोग निवास करते हैं यहां के लोग गुलमोहर की तरह है।विद्यालय के प्राचार्य बाबूलाल साहू ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमें स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है आज सब युवा शक्ति मिलकर हमें देश की शक्ति बनना है जब हम देश की शक्ति बनेंगे तब ही हमारा देश विश्व गुरु और परम वैभव की शिखर पर पहुंच सकता है एवं सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सीखना एक निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है जो जीवन पर्यंत चलता रहता है हमें हर एक पल कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है अतः हम निरंतर सीखें और आगे बढ़े इस अवसर पर विद्यालय के सभी भैया बहन और आचार्य परिवार उपस्थित थे।

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