छत्तीसगढ़

प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण लोक परिवहन।

(सिटी बसों) का न चलना।

बिलासपुर ।प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही है, और सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में भी वृद्धि होती जा रही है। सामान्य व्यक्ति यही सोचता है कि ट्रैफिक पुलिस के नहीं होने से दुर्घटना होती है. सड़क दुर्घटना रोकने की जिम्मेदारी केवल पुलिस विभाग की नहीं है इसमें सभी नागरिकों का सहयोग अपेक्षित है। पिछले दिनों राजधानी रायपुर से लगे मंदिर हसौद क्षेत्र में एक बहुत हृदय विदारक सड़क दुर्घटना में एक इंजीनियरिंग में पढ़ने वाली अम्बिकापुर निवासी छात्रा की जान चली गई और उसके दो सहयोगी छात्र घायल हो गए। इस प्रकार की दुुर्घटनाएं प्रायः प्रतिदिन सुननें में आती है। इन घटनाओं में लापरवाही पूर्वक वाहन चालन बहुत बड़ा कारण है लेकिन विभिन्न शहरों में सिटी बसों का नहीं चलना भी बहुत बड़ा कारण है. सिटी बसें कोरोना काल से ही बंद है और यह भी सुनने में आ रहा है कि कई स्थानों पर सिटी बसें रखे-रखे कबाड़ में तब्दील होती जा रही है या कबाड़ में तब्दील किया जा रहा है. हमारे प्रदेश का कुछ वर्ग हमेशा से आटो रिक्शा को बढ़ावा देता रहा है और जब ट्रैफिक पुलिस द्वारा आटो रिक्शा और आटो चालकों की जांच अभियान चलाया जाता है तो आटो रिक्शा के पक्षधर लोग आंदोलन और धरना प्रदर्शन करने लगते हंै. यह सर्वविदित है कि शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था को बिगाड़ने, सड़कों पर जाम लगने का प्रमुख कारण पहले सायकिल रिक्शा हुआ करते थे, अब उनका स्थान आटो रिक्शा ने ले लिया है. निश्चित है कि जब सिटी बसे नहीं चलेगी तो यात्रियों की मजबूरी और बेबसी का फायदा आटो वाले मनमानी किराया वसूलकर अपनी जेब भरेगें और ट्रैफिक अव्यवस्था बनी रहेगी। हमारे समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग चाहे स्टूडेंट हो या आफिसों में कार्य करने वाले लोग सिटी बसों से चलना तो पसंद करते है परन्तु आटो रिक्शा में जाना पसंद नहीं करते क्योंकि आटो रिक्शा में 8 से 10 लोगों को भरकर ले जाया जाता है. इस मजबूरी के कारण लोग रिस्क उठाकर अपनी मोटर सायकिल और स्कूटर पर तीन-तीन की संख्या में सवार होकर जाना पसंद करते है, भले रास्तें मेे वे सड़क दुर्घटना का शिकार हो. राजधानी रायपुर की तो बात ही अलग है वहाँ मंत्रालय एवं विभागाध्यक्ष कार्यालय के कर्मचारियों के पुराने रायपुर से नया रायपुर जानें-आनें के लिए लगभग 50 से अधिक बसें मंत्रालय के आसपास पूरे कार्यालयीन समय तक खड़ी रहती है जबकि वहाँ के बहुत से कर्मचारी कोरोना संक्रमण काल के पहले से एवं अभी तक अपने कार और मोटर सायकिलों से जाते हैं परंतु सिटी बसें नया रायपुर के ग्रामीण क्षेत्रों और सेक्टरों में रहने वालों के लिए नहीं है. पहले कुछ रूट धमतरी रोड होकर नाॅन-एसी बसें और सेक्टरों से होकर महासमुंद रोड से BRTS की वातानुुकूलित बसें प्रातः 6.30 से रात 10 बजे तक संचालित की जाती थी परन्तु नाॅन एसी बसें तो बिल्कुल बंद कर दी गयी और BRTS बसें सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक 1-1 घंटो पर चलाने का निर्णय लिया गया जबकि नाॅन एसी बसों से बहुत से गांवों के लोग भी राजधानी आना जाना करते थे. वे लोग अपने दो पहिया वाहनों से रायपुर आते जाते है और इन्हीं सब कारणों से मोटर सायकिलों पर जाने वाले लोग सड़क दुर्घटना के शिकार होते रहते है.।प्रदेश भर के लगभग सभी बड़े जिलों में सिटी बसों को खरीदनें में बहुत बड़ी शासकीय राशि व्यय की गयी है, उन बसों का संचालन करने वाली एजेंसियों को उन बसों को कबाड़ में तब्दील करने के बजाय आम नागरिकों के आवागमन के लिए डिपो से बाहर निकालने की आवश्यकता है. संभवतः सड़क दुर्घटनाओं तथा उनमें जान गंवाने वालों की संख्या में कमी लायी जा सके।

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